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शोर क्या है? कोई भी अप्रिय ध्वनि शोर है। यह कुछ ऐसा है जिसे हम पसंद नही करते हैं। यह कुछ ऐसा है जिससे हम अपने कान ढँक लेते हैं- एक दमकल का सायरन, बिजली की कड़क, अचानक ब्रेक लगने पर कार के टायर का घिसने की आवाज। कितनी आवाज बहुत अधिक होती है? किस स्तर पर ध्वनि शोर बन जाती है? आज ध्वनि को वैज्ञानिक रूप से मापा जा सकता है। ध्वनि के स्तर को डेसीबल मीटर का उपयोग किया जाता है। शून्य डेसीबल मानवीय कान द्वारा सुनी जा सकने वाली सबसे हल्की ध्वनि के बराबर होता है। एक शांत बेडरूम में एक डेसीबेल मीटर लगभग 35 डेसिबल दर्ज कर सकता है। एक कक्षा में यह लगभग 50 डेसिबल दर्ज करेगा। यह स्तर कानों के लिए आरामदेह होता है। कहा जाता है कि अधिकार लोग 45 और 75 डेसिबल के बी बोलते हैं।
पश्चिमी जर्मनी के एक डॉक्टर ने शोर के प्रभाव का अध्ययन करने के बाद निष्कर्ष निकाला है कि सोते हुए व्यक्ति द्वारा सुनी जाने वाली आवाजें उसके हृदय और रक्त वाहिकाओं के लिए खतरे का कारण बन सकती हैं। शोर के कारण मस्तिष्क की रक्त वाहिकाऍं फैलने लगती हैं। इससे विभिन्न प्रकार के दर्द पैदा होते हैं। एक अन्य डॉक्टर ऊँचे संगीत के प्रभावों की खोज करने के दौरान एक रॉक बैंड के कलाकारों से बात कर रहा था। उनमें से एक ने कहा, "डॉक्टर, जोर से बोलिए, हम आपको सुन नहीं पा रहे हैं।"
डॉक्टर ने पाया कि सभी कलाकार श्रवण ह्रास की समस्या से ग्रस्त थे और उनमें से दो आंशिक रूप से बहरे थे। उनके संगीत के शोर का स्तर 105 से 115 डेसीबल रहता था और वे प्रत्येक सप्ताह ग्यारह घंटे से अधिक समय तक संगीत बजाते थे।
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मनुष्य की स्वाभावगत विशेषता है उसका जिज्ञासु होना। रात्रि में वह चैन की नींद सोकर प्रात: काल उठता है तो शीघ्र ही अपने आस-पास के वातावरण के बारे में जानने का प्रयास करता है। चाय की चुस्कियों के साथ देश-विदेश की खबरों को जानने के लिए वह समाचार पत्र का सहारा लेता है।