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मैडम मैरी क्यूरी पहली महिला वैज्ञानिकों में से एक और 20वीं सदी के महान वैज्ञानिकों में से एक थीं। उन्होंने रेडियम की खोज की और नाभिकीय भौतिकी तथा कैंसर के उपचार का मार्ग प्रशस्त किया। मैडम क्यूरी का जन्म 1867 में वारसॉ, पोलैंड में हुआ था। मैरी भौतिक विज्ञान, गणित और रसायन विज्ञान का अध्ययन करने के लिए पेरिस, फ्रांस गई जहां वे पियरे क्यूरी से मिली जो स्कूल ऑफ फिजिक्स में प्रधानाध्यापक थे। उन्होंने 1895 में शादी की। उन्होंने डॉक्टर ऑफ साइंस की डिग्री प्राप्त की और पियरे क्यूरी की मृत्यु के बाद फैकल्टी ऑफ साइंसेज में जनरल फिजिक्स की पहली महिला प्रोफेसर बनी।
खनिजों पर काम करते हुए मैडम क्यूरी ने देखा कि थोरियम रेडियोधर्मी है। पियरे ने अपनी त्वचा पर रेडियम का परीक्षण किया जिससे त्वचा झुलस गई थी। उन्होंने मनुष्यों पर रेडियम प्रभाव संपादित किया और रेडियम पर अपने अध्ययन के लिए मैडम क्यूरी ने 1903 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया। मैडम क्यूरी ने रेडियोधर्मिता पर अपने अध्ययन के लिए 1911 में रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार भी प्राप्त किया।
मैडम क्यूरी को अपने समय की पूर्वधारणा से मुकाबला करना पड़ा था। जब 1910 में मैडम क्यूरी ने एकेडमी ऑफ साइंसेज की सदस्यता के लिए प्रयत्न किया था, तो उस समय वह केवल पुरूषों की संस्था थी। 1911 में मैडम क्यूरी का एकेडमी ऑफ साइंसेज में सदस्यता पाने का प्रयास असफल रहा। वह अत्यंत क्रोधित हुईं और फिर कभी इससे जुड़ने का प्रयास नहीं किया। 1979 तक एकेडमी ऑफ साइंसेज ने किसी भी महिला को स्वीकार नहीं किया था।
अपने शोध में अत्यधिक मात्रा में विकिरण के संपर्क में आने के कारण मैडम क्यूरी को ल्यूकेमिया हो गया तथा 4 जुलाई 1934 को फ्रांस में उनका देहांत हो गया। मैडम क्यूरी अकेली ऐसी महिला हैं जिन्हें उनके विशेष गुणों के लिए पेरिस के प्रसिद्ध पेंथियन गुंबद के नीचे विक्टर ह्यूगो और अन्य महान लोगों के साथ दफनाया गया।