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चलचित्र उद्योग और इसके घटक कंपनियों के अनेक पहलू उन्नत-प्रोद्यौगिकी उद्योगों और फर्मों में प्रेक्षणीय पहलूओं से असदृश हैं। उदाहरण के लिए कंपनी की दीर्घकालिकता दो संगठनात्मक संदर्भों में सतत सरोकार को प्रतिबिम्बित नहीं करती है। उदाहरणार्थ उन्नत प्रोद्योगिकी कंपनी में एक नवोत्पाद नवप्रवर्तन - जिससे फर्म को वित्तीय प्रतिलाभ होने की अशा है - कंपनी की सफलता के लिए अपर्याप्त है। सापेक्षत: नवोत्पाद आधारित नवप्रवर्तन की श्रृंखला अपेक्षित है। ऐसी स्वतंत्र निर्माण कंपनी के विपरीत प्रत्येक नयी फिल्म - जिससे मूलधन पर वित्तीय प्रतिलाभ के सृजन की आशा है – कंपनी की सफलता के लिए पर्याप्त है। कोई भी परवर्ती नई फिल्म, जिसमें फर्म को सहभागियों को सम्मिलित किया जाएगा, भिन्न स्वतंत्र कंपनी के द्वारा निर्मित की जाएगी।
एक अन्य दृष्टान्त के तौर पर, दोनों ही संगठनात्मक संदर्भों में लोगों के माध्यम से विभिन्न प्रकार के अवेदनकर्ताओं और लाभार्थियों के होने की संभावना है। उदाहरण के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी कंपनी में प्रत्येक नवोत्पाद नवप्रवर्तन परियोजना टीम के सहभागियों को सीखने तथा अनुभव अर्जित करने का अवसर प्रदान करता है और यही कंपनी ऐसे सहभागियों को अपने साथ बनाए रखने और फलस्वरूप अगली परियोजना में उनके समृद्ध अनुभव का लाभ उठाने का प्रयोजन भी रखती है। इसके विपरीत स्वतंत्र निर्माण कंपनी प्रत्येक नई फिल्म परियोजना टीम में प्रतिभागियों को सीखने और अनुभव अगली परियोजना में उनके समृद्ध अनुभव से स्वल्प या नगण्य लाभ होने की आशा होती है।
चल-चित्र उद्योग में अनुभव अत्यंत महत्वपूर्ण है। सामान्यतया फिल्म परियोजनाओं में बजट बहुत ही संकुचित होता है तथा कार्य अनुसूचियॉं चुनौतीपूर्ण होती हैं। लोगों को प्रमुखत: उनके अनुभव के आधार पर नियोजित किया जाता है और उनसे अपनाए जाने का मौका प्राय: कम ही होता है किंतु अनुभवी लोग प्राय: प्रयास एवं भूल विधि से ही सीखते हैं। चूँकि अनुभव को अत्यधिक महत्व दिया जाता है और फिल्म निर्माण कंपनियों के पास सीमित समय होता है, अधिकांश लोगों के लिए इस उद्योग में प्रवेश करना अत्यन्त दूभर है। साथ ही, इस उद्योग में स्कूलों और कॉलेजों की भूमिका न्यूनतम है कतिपय कौशलों और तकनीकों को औपचारिक शिक्षा (यथा : अभिनय स्कूल, थिएटर, फिल्म डिग्रियों) के माध्यम से सीखा और परिनिष्ठित किया जा सकता है। किन्तु अधिकांश लोग प्रत्यक्ष अनुभव के माध्यम के आधार पर आते हैं। आदर्शीकरण एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। सच है कि फिल्म व्यवसाय अन्वेषण की अपेक्षा शोषण की ओर अधिक आसन्न होता है। तथापि कुल मिलाकर अद्योग की सफलता समय के साथ अधिगम और खोज-बीन की प्रकिया पर महत्वपूर्ण रूप में निर्भर है।