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गुरुवार को एक विचित्र घटना हुई। एक नीलगाय को पकड़ने के लिए पुलिस और जंगल विभाग के अधिकारियों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा। कई घंटों की परेशानी के बाद, नीलगाय को सुरक्षित रूप से पकड़कर असोला भट्टी वन्यजीव अभ्यारण्य भेजा गया।
प्रात:काल वह नीलगाय, दिल्ली के सबसे सुरक्षित क्षेत्र, विजय चौक में घुस गयी थी। वरिष्ठ अधिकारियों ने इसे संसद भवन की तरफ जाते हुए देखा।
इसे कुछ घंटों की परेशानी के बाद ही पकड़ा जा सकता था। वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस., एन.जी.ओ. ने भी जानवर को पकड़ने के लिए अपनी 10 सदस्यीय टीम भेजी थी। बचाव कार्य समाप्त हो जाने के बाद एन.जी.ओ. ने ट्वीट किया, "नीलगाय को विजय चौक से वर्ल्डलाइफ एस.ओ.एस. द्वारा सफलतापूर्वक बचा लिया गया है।" ऐसा माना जाता है कि, वह राष्ट्रपति भवन के पीछे स्थित वनीय क्षेत्र से भटक कर यहॉं आ गई थी। आरंभ में मंत्रियों के वी.आई.पी. काफिले और शीर्ष अधिकारियों के क्षेत्र में प्रवेश से पहले पुलिसकर्मियों का एक दल इसको निकालने के लिए पहुँचा था।
नीलगाय, लॉन के आसपास दौड़ रही थी क्योंकि पी.सी.आर. वैन को उस क्षेत्र में उसका पीछा करने का कार्य सौंपा गया था। जब वैन को एक तीव्र मोड़ लेना था, तभी नीलगाय अचानक से उसकी ओर दौड़ने लगी थी और उसने चालक की तरफ वैन को टक्कर मारा। इसके कारण खिड़की की कांच टूट गया और नीलगाय के पैर में चौट भी लग गई थी।
पुलिस दल ने लॉन के चारों ओर एक मानव श्रृंखला भी बना ली थी जिसमें नीलगाय फिर से सड़क की और न दौड़ सके। इसके तुरंत बाद यातायात पुलिस भी नीलगाय अभियान में शामिल हो गई और क्षेत्र को घेर लिया गया था। इस घटना ने उस इलाके के यातायात में अफरा-तफरी मचा दी थी, जो लगभग एक घंटे तक चली थी।
अंत में वन विभाग के अधिकारियों ने नीलगाय को बचा लिया और समझाया कि लोगों को सावधान रहना होगा, क्योंकि नीलगाय का "हृदय बहुत कोमल" होता है और इसे भगाकर वापस वन में नहीं छोड़ा जा सकता, तथा इसे "पकड़ा ही जाना चाहिए।"
वन विभाग के अधिकारी ने आगे कहा कि विभाग द्वारा उसकी आयु और उसकी गर्भवती अवस्था का पता लगाया जाएगा। वन विभाग के अनुसार, लगभग प्रात: 10 बजे वी.वी.आई.पी. क्षेत्र में नीलगाय की उपस्थिति के बारे में एक फोन आया था, जिसके बाद दल मौके पर पहँच गया था।