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इस तथ्य के बावजूद कि बहुत अधिक वसा हानिकारक हो सकती है, अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए सामान्य वसा का सेवन वास्तव में आवश्यक है। वसा की कमी के कुछ लक्षणों में सुखी त्वचा, सामान्य कमजोरी, प्रतिरक्षा प्रणाली का कम काम करना और प्रजनन की समस्याऍं शामिल है। हाल के अध्ययनों में वसा रहित आहार को, तनाव और आक्रामकता में वृद्धि के साथ जोड़ा गया है। वास्तव में, जो लोग अपने भोजन में वसा के सेवन को पूरी तरह से खत्म करने का प्रयास करते हैं, उन्हें भोजन विकारों का खतरा हो सकता है। भोजन में कम मात्रा में वसा का सेवन करना तृप्ति की भावना को पैदा करती है, जोकि प्रोटीन या कार्बोहाइड्रेट द्वारा उत्पादित पूर्णता की अनुभूति की तुलना में अधिक समय तक बनी रहती है। विटामिन ए, डी, ई और के को अवशोषित करने के लिए पाचन तंत्र को प्रतिदिन कम से कम दो चम्मच वसा की आवश्यकता होती है, जोकि वसा में घुलनशील होते हैं। ये विटामिन बालों, त्वचा, दांतों और आंखों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होते हैं। इन विटामिनों को अवशोषित करने की क्षमता के बिना, बच्चों में विकास और स्नायविक विकारों का खतरा बढ़ जाता है। वयस्कों में प्रजनन हार्मोन बनाने के लिए इन विटामिनों की आवश्यकता होती है।
कुछ प्रकार की वसा, वास्तव में हानिकारक कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करती हैं। मकई, सोयाबीन और तिल के तेल जैसी बहुसंतृप्त वसा और चिकन वसा और जैतून के तेल जैसे मोनोसंतृप्त वसा रक्त में कोलेस्ट्रॉल को कम करते प्रतीत होते हैं जबकि लाल मांस, डेयरी उत्पादों और उष्णकटिबंधीय तेल में पाए जाने वाली संतृप्त वसा कोलेस्ट्रॉल के ऐसे स्तर को बढ़ाती प्रतीत होती हैं, जोकि धमनी की दीवारों पर प्लाक की तरह जम जाती है। वसा के सेवन के प्रकार पर ध्यान देना उतना ही जरूरी है जितना कि कुल वसा के सेवन को कम करने पर ध्यान देना।